श्रृंगार रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण

श्रृगांर रस


हदय के चित्त मे रति नमक स्थायी भाव जब विभाव अनुभाव और सचायी भाव सयोग करता है तो
वहा पर श्रृगांर रस होती है

श्रृंगार रस 

श्रृगांर रस के प्रकार के -2

1. सयोग श्रृगांर

2. वियोग श्रृगांर

सयोग श्रृगांर

इस रस मे नयक और नयिका का मिलन होता है उसे सयोग श्रृगांर कहते है

उदाहारण- 

            कौन हो तुम वसंत के दुत

            विरस पतझड़ मे चपला की रेखा

            तपन मे शीतल मन्द बयार

वियोग श्रृगांर

इस रस मे नयक और नयिका का मिलन नही होता है वह पर वियोग श्रृगांर होता है

उदाहारण - 

            मेरे प्यारे नव जलद से कजं से नेत्र वाले

            जाके आये न मधुवन से और न भेजा सन्देश्य

            मै रो-रो कर प्रिय विरह बाबली हो रही हूँ

            जा कर मेरी सब दुख कथा श्याम को तु सुुना दे


हस्य रस

हस्य रस स्थायी भाव हास होता है जहा पर विभाव, अनुभाव,सचायी भाव के सयोग से हास नमक स्थायी भाव उत्पन्न हो वहा पर हस्य रस होता है

उदाहारण- 

            मातहिं पितहिं उरिन भये नीके

            गुरू ऋण रहा सोच बड़ जी के

                            या

            हँसि-हँसि भाजै देखि दूलह दिगम्बर को ,
            पाहुनी जे आवै हिमाचल के उछाह मै

करूण रस

करूण रस का स्थायी भाव शोक है जब किसी व्यक्ति कि घर मे निधन हो जाता है और उसके घर मे शोक का भाव उत्पन्न होता है उसे करूण रस कहते है

उदाहारण- 

             मेरे हदय के हर्ष हा
            अभिमन्यु है अब तु क कहा

रौद्र रस

रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध होता है जहाँ पर विभाव ,अनुभाव,सचायी भाव के सयोग से क्रोध नमक स्थायी भाव उत्पन्न हो वहा पर रौद्र रस होता है

उदाहारण- 
             उस काल मारे क्रोध के तनु ,काँपने उनका लगा
            मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा

वीर रस


वीर रस का स्थायी भाव उत्साह होता है जहा पर विभाव ,अनुभाव ,साचायी भाव के सयोग से उत्पन्न हो वहा पर वीर रस होता है

उदाहारण- 

            बुदेले हरबोलो के मुख
            हमने सुनी कहानी
            खुब लड़ी मर्दानी वह थी
            झाँसी वाली रानी

भयानक रस

भयानक रस का स्थायी भाव भय होता है जहाँ पर विभाव ,अनुभाव सचायी भाव के सयोग से भय नमक स्थायी भाव उत्पन्न हो वहा पर भयानक रस होता है

उदाहारण -

            आखिल यौवन के रंग उभार
            हड्डियो के हिलाते ककांल
            कचरे के चिकने काले
            व्याल ,केचुली काँस सिवार

अदभुत रस

अदभुत रस का स्थायी भाव आर्श्चय होता है जहाँ पर विभाव ,अनुभाव ,सचायी भाव उत्पन्न हो वहा पर अदभूत रस होता है

उदाहारण - 

            देख यशोदा शिशु के भुख मे
            सफल विश्व की माया , क्षण भर को
            वह बनी अचेतन हिल न सकी कोमल काया

शान्त रस

शान्त रस का स्थायी भाव निर्वेद होता है जहाँ पर विभाव ,अनुभाव,सचायी भाव के सयोग से निर्वेद नमक स्थायी भाव उत्पन्न हो वहा पर शान्त रस होता है

उदाहारण - 

             मेरे मन अनत पावे
            जैसे उड़ी जहाज को पंछी फिर ज
            हाज पे न आवै

वीभत्स रस

वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुसा होता है जहाँ पर विभाव,अनुभाव,सचायी भाव के सयोग से जुगुसा नमक स्थायी भाव उत्पन्न हो वहा पर वीभत्स रस होता है

उदाहारण - 

             गिध्द जहाँ कह खोदी
            खोदी के माँस उचारत
            स्वान आंगुसि कटि-कटि
            के खान विचारत

वत्सल रस

वत्सल रस का स्थायी भाव वत्सल्य होता है जहाँ पर विभाव,अनुभाव,सचायी भाव के सयोग से वात्सल्य नमक स्थायी भाव उत्पन्न हो वहा पर वत्सल रस होता है

उदाहारण - 

            चलत देखि जसुमति सुख पावै
            ठुमुकि पग धरनी रेगत जननी देखि दिखावै

भक्ति रस

भक्ति रस का स्थायी भाव भक्ति होता है जहाँ पर विभाव ,अनुभाव सचायी भाव के सयोग से भक्ति नमक स्थायी भाव उत्पन्न हो वहाँ पर भक्ति रस होता है

उदाहारण - 

            उलट नाम जपत जग जाना
            वल्मकि भए ब्रम्हा समाना


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