अलंकार क्या हैं परिभाषा ,भेद ,उदाहारण

Hello दोस्तों स्वगात  हैं आप का हमारे  blog  knowledgelo में . दोस्तों  क्या आप जानते हैं अलंकार क्या  हैं आज हम इस blog post में जानेगे  अलंकार क्या हैं अलंकार की परिभाषा और अलंकार के भेद & उदाहारण अगर आप भी एक student हैं तो आप को भी अलंकार के बारे में जरूर जानना चाहिए क्योंकि अलंकार के बारे में हम लोग बच्चपन से पढ़ रहे हैं और हमारे हिंदी के salllybas  में भी हैं आज हम इस blog post में अलंकार के बारे में विस्तार से जानेगे    


जैसा की आप जानते हैं की अलंकार competitive exam में पूछा जाता हैं और  हाईस्कूल & इण्टर के sylllabus में भी हैं और तो और ias & pcs के एग्जाम में भी पूछा जाता है इसलिए आपको अलंकार की knowledge होनी चाहिए  ताकि आप किसी भी competitive एग्जाम को आसानी से निकाल साके अगर आपको इन परीक्षा में सफल होना है तो आपको अलंकार जरूर पढ़ना चाहिए  



अलंकार

अलंकार का काम किसी वस्तु या पदार्थ की शोभा बढ़ना  हैं  अलंकार का अर्थ  अलंकृत करना या सजाना होता हैं  आचार्य भामह ने अलंकार का  बहुत ही सुन्दर विस्तृत वर्णन किया हैं अलंकार का शब्दिक अर्थ आभूषण होता हैं काव्य की शोभा बढ़ने वाले तत्व को अलंकार कहते हैं 


अंलकार तीन प्रकार के होते हैं -3

1 शब्दालंकार 

2 अर्थालंकार 

3 उभयंलकार 

शब्दालंकार

 जहाँ पर शव्द के कारण चमत्कार उतपन्न होता हैं उसे ही शब्दालंकार कहते हैं  


अर्थालंकार  

जहाँ पर अर्थ  के कारण चमत्कार उतपन्न होता हैं उसे ही अर्थालंकार   कहते हैं


उभयालंकार 

 जहाँ पर अर्थ और शव्द  के कारण चमत्कार उतपन्न होता हैं उसे ही उभयालंकार कहते हैं


अलंकार के भेद 

1.शब्दालंकार 

  • अनुप्रास अलंकार 
  •  यमक अलंकार 
  •  श्लेष  अलंकार 

2 अर्थालंकार 

  • उपमा अलंकार
  • रूपक अलंकार
  • उत्प्रेक्षा अलंकार
  • अतिशयोक्ति अलंकार
  • मानवीकरण अलंकार

3 उभयंलकार


अनुप्रास 

अनुप्रास अलंकार में  एक ही वर्णो  की आवृत्ति बार बार होती हैं 

 उदाहारण - रघुपति राघव राजा राम

अनुप्रास के 5 प्रकार है-

  • छेकानुप्रास अलंकार
  • वृत्यनुप्रास अलंकार
  • लाटानुप्रास अलंकार
  • अन्त्यानुप्रास अलंकार
  • श्रुत्यानुप्रास अलंकार

 छेकानुप्रास अलंकार 

 जहाँ पर एक या अनेक  वर्णो  की आवृत्ति  केवल एक बार होती हैं वहाँ पर छेकानुप्रास अलंकार  होता हैं 

उदाहारण :- राधा के बार बैन सुनि चीनी चकित सुभाई
                    दास दुःखी भिसरी मुझे सुधा रही सकुचाइ 

नोट:- इस उदाहारण में ब ,च ,व , म और स वर्ण की आवृत्ति एक एक बार हुई हैं 

वृत्यनुप्रास अलंकार

जहाँ पर एक अथवा अनेक वर्णो की  आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो वहाँ पर वृत्यनुप्रास अलंकार होता हैं 

उदाहारण :- तरिन - तनुजा  तट तमाल तरुवर बहु छाये 

नोट :- यहाँ पर त वर्ण की आवृत्ति अनेक बार हुई हैं 

लाटानुप्रास अलंकार

इसमें शब्द और वर्ण वही रहता हैं जब इसका अन्वय किया जाता है तब इसका अर्थ में भेद हो जाता हैं इसे ही लाटानुप्रास अलंकार कहते हैं 

उदाहारण :- तीरथ -व्रत साधन कहा जो निस दिन हरिमान 
                    तीरथ व्रत साधन कहा बिन निस दिन हरिगान 

अन्त्यानुप्रास अलंकार 


इसके चरण या पद के अंत में स्वर या व्यंजन की समानता होती हैं 

उदाहारण :- गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन 
                   नयन अमिय दृग दोष विभाजन 

नोट :- इस उदाहारण के अंत में न आया हुआ हैं इसलिए अन्त्यानुप्रास अलंकार हैं 

श्रुत्यानुप्रास अलंकार

इस अलंकार में एक ही स्थान से बोले जाने वाले वर्ण की आवृत्ति  होती हैं  

नोट :-  यहाँ पर स्थान से मतलब हैं उच्चारण स्थान से मतलब हैं उच्चारण स्थान से अर्थात कंठ तालू आदि से हैं 

उदाहारण :-  तुलसीदास सदित निसिदिन देखत तुम्हाहरि निठराई 


यमक अलंकार  

जहाँ पर एक ही शब्द भिन्न -भिन्न अर्थो में आये वहाँ पर यमक अलंकार होता हैं 

उदाहारण :- कनक कनक के सौ गुनी मादकता अधिकाय 
                    वह खाए बौराए जाय , वह पाए बौराए जाय 

श्लेष  अलंकार 

जहाँ एक शब्द एक ही बार बार आये लेकिन उसका अर्थ अलग अलग हो तो वहाँ पर श्लेष अलंकार होता हैं 


उदाहारण :- रहिमान पानी रखिए 
                     बिना पानी सब सुन 
                     पानी गए न ऊभरे 
                     मोती मानुष चून 

अर्थालंकार के प्रकार 7 

  • उपमा अलंकार 
  • रूपक अलंकार 
  • संदेह अलंकार 
  • भ्राँतिमान  अलंकार
  • उत्प्रेक्षा अलंकार   
  • दृष्टांत अलंकार 

उपमा  अलंकार 

जहाँ एक  वस्तु की समानता तुलना किसी दूसरे वस्तु से कि जाती हैं वहाँ पर उपमा अलंकार होता हैं 

उपमा अलंकार के प्रकार 4 

  • उपमेय 
  • उपमान 
  • साधारण धर्म 
  • वाचक 

उपमेय 

जिसकी तुलना की जाती हैं उसे उपमेय कहते हैं 

उपमान 

जिससे तुलना की जाती हैं उसे उपमान कहते हैं 

साधारण  धर्म 

उपमेय और उपमान के बीच जो रूप गुण धर्म आदि जो होते हैं उसे साधारण धर्म कहते हैं 

वाचक 

उपमेय और उपमान कि समानता जिस शब्द से बताई जाती हैं उसे वाचक कहते हैं 

उदाहारण :- हरि पढ़ कोमल कमल से 
                    पीपर पात सरिस मन डोला 

रूपक अलंकार 

जहाँ पर उपमेय में उपमान के बिन भेद करे आरोप लगा दिया जाता हैं वहाँ पर रूपक अलंकार होता हैं 

उदाहारण :- चरण कमल बंदौ हरि राइ 

सन्देह अलंकार 

जहाँ पर किसी वस्तु की समानता अन्य वस्तु से दिखाई पड़ने पर यह निश्चित न हो पाए कि यह वस्तु वही हैं या कोई दूसरी वस्तु हैं 

उदाहारण :- नारी बीच सारी हैं कि सारी बीच नारी हैं कि सारी ही की नारी हैं कि नारी ही की सारी हैं 

भ्राँतिमान अलंकार 

इस अलंकार में अत्यधिक  समानता होने के कारण एक वस्तु को दूसरी वस्तु समझ लेना 

उदाहारण :-  बिल बिचारि प्रविसन 
                    शुंड में व्याल 
                    ताहू कारी ऊख भ्र्म लियो उठाय। ....

उत्प्रेक्षा अलंकार 

जहाँ पर उपमेय में उपमान की संभावना की जाये वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता हैं इसमें मनु मानो जनु जानो मनहुँ जनहुँ आदि शब्द आते है 

उदाहारण :- सिर फट गया उसका वही 
                    मानो अरुण रंग का घडा हो 

 वस्तूत्प्रेक्षा अलंकार 

जहाँ किसी वस्तु में किसी अन्य वस्तु की संभावना की जाती हैं उसे वस्तूत्प्रेक्षा अलंकार कहते हैं 

उदाहारण :-  साखि सोहति गोपाल के उर गुंजन की मॉल 
                    बाहिर लस्टी मनो पिये दावानल की ज्वाला 

हेतूत्प्रेक्षा अलंकार :- 

जहाँ पर कारण न हो फिर भी उसमे हेतु की संभावना की जाये तो वहाँ पर हेतूत्प्रेक्षा अलंकार होता हैं 

उदाहारण :-  रवि अभाव लखि रैनि में दिन लखि चंद्र विहीन 
                    सतत उदित  इहि हेतु जन यश मुख कीन 

फलोत्प्रेक्षा अलंकार 

जहाँ पर अफल में फल की संभा वना की जाये वहाँ पर फलोत्प्रेक्षा अलंकार होता हैं 

उदाहारण ;-  तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये झुके फुल सोजल  परसन हित मनहुँ सुहाये 

दृष्टांत अलंकार 

जहाँ उपमेय और उपमान के समान धर्म के भिन्नता होते पर भी बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव दिखाई दे तो वहाँ पर दृष्टांत अलंकार  होता हैं 

उदाहारण :-  दुसह दुराज प्रजान को क्यों न बडे दुःख द्व्न्द अधिक अधेरो जग करत मिली मावस रवि चंद्र 
 
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